Monday, February 26, 2018

समाज के विकास में शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है .

किसी भी राष्ट्र व समाज के विकास में शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है और इसके संवर्धन व संरक्षण का दायित्व सरकार व समाज दोनो को होना चाहिए। शिक्षा के द्वारा ही छात्र के अंदर के सभी गुणों का विकास संभव है। भारत के बारे अक्सर यह कहा जाता है कि यह युवाओं का देश है। यहां के युवाओं की अभिरूचि, योग्यता व क्षमता के अनुसर उसे उचित शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराकार देश के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व तकनीकी विकास में सहभागी बनाना हम सभी का प्रमुख दायित्व है। वर्तमान समय में सरकार व समाज से लोगों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं। सभी अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं । आज शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या मंे उल्लेखनीय वृद्धि हुई है वहीं उन सभी के लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाना दुर्लभ होता जा रहा है। विगत वर्षों में हम सभी ने यह महसूस किया है कि पर्याप्त शिक्षा नीति के अभाव में गरीब छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है। जिसके परिणामस्वरूप समाज में बढ़ती आर्थिक विषमता समूचे राष्ट्र के लिए चिंता का विषय हो गया है।छत्तीसगढ़ राज्य एक जनजातीय बाहुल राज्य हैं, यहॉ 66.16 लाख जनजाति निवासरत है, जिनका छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या का 31.76 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन ही जनजातीय हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जनजातीय क्षेत्रों की सबसे मूलभूत समस्या शिक्षा और स्वास्थ्य रहा है और यह अकेले छत्तीसगढ़ या मध्यप्रदेश की ही नहीं बल्कि पूरे देश में इन क्षेत्रों की स्थिति यही है। वर्तमान दौर सूचना क्रांति का दौर है और इस दौर में मीडिया ने विस्तृत रूप और आकार ग्रहण कर लिया है। संचार के सशक्त माध्यम समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फोन और इंटरनेट के महत्व से हम सभी परिचित है। हमारे दैनिक क्रियाकलापों में इनकी भूमिका और महत्व में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। वहीं हमारा समाज भी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। हमारे जनजातीय समाज में जन्म से लेकर मृत्यू तक अपनी परंपराएं हैं, रीति रिवाज है जो आधुनिक समाज को कई बार सीख देते दिखाई देते हैं। इन  खास चीजों को आज प्रमुखता से रेखांकित किये जाने की जरूरत है।
आज हमारे समाज के सामने विचार के कई मुद्दे उभर कर सामने आये हैं, जिनमें शिक्षा का मुद्दा एवं संस्कृति का मुद्दा अहम् है। हमारे युवा बेहतर से बेहतर शिक्षा की ओर अग्रसर हो तथा किसी प्रकार के मुद्दे से दिग्भ्रमित न हो यह आज के समय की आवश्यकता है। बेहतर शिक्षा से बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है। इसी प्रकार वर्तमान समय में आस्था और अस्मिता का भी प्रश्न महत्वपूर्ण बना हुआ है। हमारे समाज में कुछ तत्व ऐसे भी है, जो आस्था और अस्मिता के नाम पर हमारे जनजातीय समाज को उसकी परंपराओं और संस्कृति से दूर करने का प्रयास कर रहे है। हमें ऐसे तत्वों को चिन्हित कर उन्हें ऐसे काम करने से रोकना होगा।आज हमारे जनजातीय समाज पर कुछ अराष्ट्रीय गतिविधियों का भी खतरा मंडरा रहा है। नक्सलवाद की आड़ में चल रहे आतंकवाद की गिरफ्त से हमारे वनवासी बांधवों को बचाना संरक्षित करना हमारा सामाजिक उत्तरदायित्व है।
 यह प्रसन्नता का विषय है कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्मृति-मंजूशा का प्रकाशन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत विद्वानों से युवाओं पर केन्द्रित ‘‘बढ़ते युवा-बदलता भारत‘‘ विषय पर लेख आमंत्रित किये गये हैं जो कि हमारे प्रदेश के युवाओं के लिए मार्गदर्शक साबित होगा। जय हिंद !

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