Wednesday, April 27, 2016
जय गुरूदेव
बड़ी दूर से आया हूँ आज तेरे द्वार पर।
पहना है मैने हिम्मत उस हार को उतार कर।।
तु ज्ञान का भंडार है एक ज्ञान मुझको दीजिये। कि जंग कैसे जीतते हैं हजार बार हार कर।।
अंबागढ़ चौकी चल संवेदना शिविर
संवेदना का तिलक लगाकर,
आगे बढ़ते जाना है।
नही रूकेगा यह पथ अपना,
जीवन ज्योति जगाना है।।
मंदर से निकली है ज्योति,
जीवन अलख जगाने को।
पगडंडी के कांटे कह गये,
अब तो मुझे हटाना है।।
नही रूकेगा______ज्योति जगाना है।।
धूप घनेरी छाव घनेरी
रस्ते पर हर गाँव घनेरी।
चेतना का संचार कराते,
पग पग बढ़ते जाना है।।
नही रूकेगा______ज्योति जगाना है।।
राष्ट्रप्रेम का सपना लेकर,
निकल पड़ा है देश हमारा।
पथरीले हैं रस्ते फिर भी,
अविरल बहते जाना है।।
संवेदना का तिलक लगाकर, आगे बढ़ते जाना है। नही रूकेगा______ज्योति जगाना है।।
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