Wednesday, April 27, 2016

जय गुरूदेव

बड़ी दूर से आया हूँ आज तेरे द्वार पर। पहना है मैने हिम्मत उस हार को उतार कर।। तु ज्ञान का भंडार है एक ज्ञान मुझको दीजिये। कि जंग कैसे जीतते हैं हजार बार हार कर।।

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