Wednesday, January 18, 2017

पत्रकारिता संगोष्ठी



पत्रकारिता विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी


रायपुर। दिनांक 16 जनवरी, सोमवार को पत्रकारिता विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्विविद्यालय ने महंत घासीदास संग्रहालय सभागार में आयोजित की। इसमें मुख्य अतिथि वक्ता के रुप में डॉ. मनमोहन वैद्य अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. डॉ. मानसिंह परमार कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर ने की। कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुई जिसमें शिवानी अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ी सरस्वती वंदना, तेजराम साहू छत्तीसगढ़ी कविता, जयश्री नायर देशभक्ति गीत व कुशुमवेली देवी ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। मुख्य वक्ता के रुप में पधारे डॉ. मनमोहन वैद्य ने इस दौरान संगोष्ठी में शामिल विद्यार्थियों से प्रश्न किए व उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
डॉ. वैद्य ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “आखिर भारत बोध क्या है?”  वास्तविक भारत को देखना है, तो गांवों को जानना होगा। एक ऐसी दृष्टि पैदा करनी पड़ेगी जो सभी मानवमात्र को समानभाव से माने। आजकल के समाचार पत्रों में गांवों का दृश्य नदारद है जो वास्तविक भारत नहीं है। यह जानना, समझना पड़ेगा जो कि हमारी पत्रकारिता में दिखाई भी देना चाहिए। देश में भ्रष्टाचार, बलात्कार, हिंसा आदि कुत्सित कार्य हो रहें हैं किन्तु पूरे भारत के परिदृश्य में ऐसा नहीं है। 
उन्होंने भारत की विशेषता के बारे में कहा कि सत्य एक है। पहले भारत को पूरी दुनिया असहिष्णु मानती थी। आज का दृश्य बदलते हुए दिखाई दे रहा है, क्योंकि हम विश्व मानवता की बात करते हैं। भारत भूमि को ही नहीं हम गांव, नदी, तुलसी पौधा को भी माता मानते हैं। भारत किसी एक व्यक्ति या समुदाय का नहीं है, यह देश भारत के लोगों का है। भारत ही दुनिया में ऐसा अकेला देश है, जिसकी विशेषता दर्शन, चिंतन, दृष्टि का आधार आध्यात्म है। हम मानते हैं कि सभी जीवों का निर्माण चैतन्य से हुआ है। हमें ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिनके मन, शरीर, बुद्धि का अंतिम लक्ष्य केवल अर्थ प्राप्त करना नहीं बल्कि देवत्व को प्राप्त करने वाला होना चाहिए। कर्मयोग, भक्तियोग, ध्यान योग से ही हम अर्थ व काम मोक्ष पर पुरुषार्थ से विजय प्राप्त कर सकते हैं। हमारी शिक्षा व पत्रकारिता नित्य संस्कार व साधना से युक्त होनी चाहिए, जिससे कि वसुधैव कुटुम्बकं की भावना का निर्माण हो सके।
विवि के कुलपति प्रो. परमार ने कहा कि जब तक हम अपने भूगोल, संस्कृति व देश को नहीं समझेंगे तब तक हम अच्छी पत्रकारिता नहीं कर पाएंगे। साथ ही इस अवसर पर उन्होंने घोषणा भी की, कि आज से प्राज्ञ संवाद व गुरु- शिष्य संवाद की अवधारणा को लेकर सभी विभागों में माह में एक बार कार्यक्रम आयोजित  किया जाएगा।
संगोष्ठी कार्यक्रम में विवि के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, अध्यापकगण, कर्मचारी व विद्यार्थी तथा नगर से आमंत्रित सुधिजन भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष आशुतोष मंडावी, विज्ञापन एवं जनसंपर्क अध्ययन विभाग व आभार प्रदर्शन विवि के कुलसचिव डॉ. गिरीशकांत पाण्डेय ने किया।