Sunday, September 14, 2025

मैं बातें नहीं करता।

पशु पक्षियों की आवाज़ें 
उनके संचार और व्यवहार का हिस्सा हैं, 
पेड़ पौधों की बातें अक्सर 
हमें सुनाई देतें हैं। 
वे अपनी भाषा में हमसे बात करते हैं
हम सभी पहले कभी साथ रहते थे। 
साथ साथ बड़े होते थे। 
वो मुझसे प्रेम करते थे। 
मैं उनके लिये कुछ भी करने के लिए तैयार था। 
आज हम अलग अलग हो गये हैं। 
मैं उनके साथ नहीं रहता। 
वो मुझसे प्रेम भी नहीं करते। 
संवेदना तो बहुत है पर
आज मैं उनके लिए कुछ नहीं कर सकता। 
बस जो कर सकते हैं उनको
 मैं देख सुन व पढ़ ही सकता हूँ
इन अखबारों के माध्यम से। 

एक गाँव है।

जंगल के किनारे एक गाँव है, 
नदी है पेड़ है पहाड़ है। 
पेड़ पर पक्षियाँ हैं, 
पक्षियों की चहचहाहट है। 
कभी कभी मै चिड़ियों से बात करता हूँ। 

घर पर गाय है बैल है भैंस है
घर की रखवाली के लिए एक कूत्ता है
सभी मेरे से दोस्त हैं।  
पास ही एक जंगल है
साल है साजा है डुमर है। 
और भी ना जानें कितने अनगिनत पेंड़ है
मैं पेड़ों की पूजा करता हूँ। 
जो मेरे गाँव की हर ज़रूरत पूरी करते है। 
गाँव मे एक तालाब है
हम सभी साथ में तालाब जाते हैं। 

इन्ही से है मेरा जीवन
इनके बिना मैं कुछ भी नहीं।। 
धरती, नदियाँ, पेड़ मेरे पुराने साथी हैं
हम सबका रिश्ता है अटूट है, अमर है
जल जंगल जमीन, जन और जानवर।
इन पाँच चीजों मे बसती मेरी आत्मा है।।