Saturday, October 25, 2008
प्रणाम
मुझे भगवन बुढादेव की कृपा से प्रथम पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई......बुढादेव हमारे समाज का आराध्य देव है.....हमारे सारे संस्कार बुढादेव की कृपा से ही संचालित होते है। जन्म संस्कार, विवाह संस्कार तथा मृत्यु संस्कार में बुढादेव की सबसे पहले आराधना की जाती है। हमारी मान्यता है की बुढादेव अर्थात पूर्वज जो की देव तुल्य होते है ...उनकी कृपा दृष्टि हमारे हर कार्य पर बनी रहे इसलिए हर घर एक मन्दिर की स्थापना की जाती ही।
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