Friday, June 20, 2014

कल्पित काया है ।

ये कैसी है अजब सी गाथा,
मुझको जीवन रास न आता।
देश अभी तक है क्यों बौना,
आज मुझे है ये सब कहना।।

पहला दौर अंग्रेजों का आया,
उसने भी हमें बहुत सताया।
फिर आई अंग्रेजियत की बारी,
लूट के ले गई हिंदी सारी।।

लुटिया डूब गई लूट जाने से,
अंग्रेजियत के घर आने से।
अब भड़का है ऐसा शोला,
क्योंकि आया कोका कोला।।

कोला का है ऐसा जादू,
दिल पर नहीं है किसी का काबू।
क्योंकि, माँम डैड का का है ये सवाल,
क्यों न हो अब खुला ख्याल।।

अभी दौर ऐसा आया है,
वेस्टर्न कल्चर का साया है।
इस कल्चर की माया देखो,
पूरा का पूरा कल्पित काया है।
कल्पित काया है।।