Friday, October 10, 2008




घोटुल

मैंने इस ब्लॉग का नम घोटुल इसलिए रखा है क्योंकि हमारी आदिवासी कम्युनिटी में घोटुल एक ऐसी संस्था है जहाँ आदिवासी युवक-युवतियां सामाजिक संस्कार सीखता है.....अपनी सम्रिध्शाली और पुरातन संस्कृती से रूबरू होता है। आज आदिवासी संस्कृति दुनिया की सबसे पुराणी संस्कृति के रूप में जनि जाती है। आज इस संस्कृति को सम्मान पूर्वक स्थापित करना हम सभी का कर्तव्य है.....शायद इसी कारन मैंने अपने ब्लॉग का नाम घोटुल रखा है......शायद आप सभी को घोटुल सुनने में अटपटा सा लगे पर घोटुल.........हमारे लिए एक मन्दिर के सामान है जहाँ हमने आदिवासी लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोककला तथा ऐसी ही तमाम लोकविधाओं को सीखा जो हमारे लिए एक खास महत्व रखती है......मई एक बार फिर घोटुल जैसी संस्था  को प्रणाम करता हूँ जो हमारी पुरातन संस्कृति को आज भी बचाए राखी है.