Thursday, July 31, 2014

मोहला मानपुर क्षेत्र में चल सम्वेदना शिविर के दौरान जनजातीय संस्कृति से साक्षात्कार

५ मई २०१४ को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् छात्तिश्गढ़ प्रदेश के २५ छात्र कर्यकर्ताओं के द्वारा मोहला मानपुर क्षेत्र के ग्राम कौडिकसा से प्रातः ६.०० बजे  माँ शीतला माता मंदिर (मंदर ) के प्रांगण से माँ के जयकारे के साथ  तीन दिवसीय चल संवेदना शिविर का शुभारम्भ माननीय श्री दीपक विस्पुते, प्रान्त प्रचारक छात्तिश्गढ़ प्रान्त के मार्गदर्शी उद्बोधन से संपन्न हुआ . इस पावं मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के जनजातीय छात्र कार्य प्रमुख श्री प्रफुल्ल आकांत जी, श्री  टेकेश्वर जैन  प्रान्त संगठन मंत्री अभाविप विशेष रूप से उपस्थित थे. इस चल संवेदना शिविर में प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से प्रमुख छात्र कार्यकर्ता शामिल हुए थे.

 चल संवेदना शिविर का उद्देश्य छात्तिश्गढ़ के ग्रामीण व् विभिन्न जनजातीय संस्कृति से साक्षातकार करना था जिससे हम ग्रामीण जनजातीय अर्थव्यवस्था, जनजातीय संस्कृति , जनजातीय रीती रिवाज, जनजातीय जीवन शैली को जनजातीय समाज के बीच में जाकर देख सकें व महसूस कर सकें.

             इस तीन दिवसीय (५, ६ व् ७ मई) शिविर में हम सभी को बड़ा ही अद्भुत अनुभव हुआ . हमारी इस शिविर की शुरुआत ग्राम कौड़ीकसा से शुरू होकर  ग्राम छोटे कलकसा , ग्राम बड़े कलकसा , बोइर् डीह  बांध से होते हुए ग्राम हितकसा  पहुंचे जहाँ वहां के श्री तुमन कोरेती व अन्य  ग्रामीणों ने हल्दी चावल से हम सभी पदयात्रियों का स्वागत किया . हितकसा में भोजन व् ग्रामीणों से थोड़े चर्चा के बाद हमारा दल ग्राम बोडाल माईस के दुर्गम रास्तों से होते हुए तकरीबन शाम ७ बजे  ग्राम कोलाटोला पहुंचे जहाँ पर श्री विनोद मंडावी व उनके ग्रामीण साथियों ने  गोंडी रीती से गोंडी स्वागत गीत गाकर हम सभी का स्वागत सत्कार किया तथा वह रात्रि भोजन के पश्चात् वहां  के ग्रामीण नागरिकों से सार्थक चर्चा  हुई, वहां रात्रि विश्राम के बाद हमारा यह शिविर प्रातः ६ बजे हमारा यह दल पगडंडियों के रास्ते गोंडी हूल्की गीत गाते अगले पड़ाव की ओर निकल पड़ा. घने जंगलों, पर्वत पहाड़ों के बीच से होते हुए हम सभी तपती दोपहरी में बगैर नौतापे के एहसास के एक छोटे से गाँव मदिंग पिडिंग पहुंचे जहाँ हम सभी लोगों ने स्वयं भोजन भोजन बनाया तथा वहां के ग्रामीण साथियों के साथ बैठकर भोजन व वहां के सामाजिक आर्थिक, व् सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में चर्चा किये यहाँ की खास बात महिलावों की उपस्थिति रही. इस तरह हम वहां से तकरीबन ४.०० बजे अपना समान समेटकर ग्रामीणों से मिलते जुलते उनकी समस्याओं के बारे में थोड़े चर्च करते हुए हमारा यह दल शाम ७.३० बजे ग्राम देवरसुर पहुंचा वहां के ग्रामीणों ने भी हमें सम्मान पूर्वक भोजन प्रदान किये तत्पश्चात वहां के ग्रामीणों के साथ वहां ग्राम में शादी ब्याह जैसे कार्यक्रम होने के बावजूद हमारे साथ चर्चा में भाग लिए . रात्रि में सुखद विश्राम का हम सभी ने लाभ लिया सबसे बड़ी बात यह रही की तकरीबन ४७ किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी किसी भी तरह का शिकन चेहरे पर दिखाई नहीं दे रहा था.
           इस तरह हमारा पड़ाव आगे की ओर बढ़ता ही जा रहा था , लोगो में उत्साह था , एक जोश था नदी के सामान निरंतर बहते जाने का एक एहसास था जो नदी,घाटी,पर्वत, पहाड़ के रास्ते जाने के  बाद भी  लोगों में उत्साह का संचार कर रहा था. अभी हमारा दल फिर से ग्राम देवर सुर से तला भात का का आनंद लेकर फिर से अगले पडाव कुदुम, भालापुर होते हुए लोगों से संवाद करते हुए ग्राम चापाटोला तकरीबन १२.०० बजे  हम सभी पहुंचे  जहाँ श्री रोहन कुंजम , श्री पंचम सिंह परतेती जी ने हम सभी साथियों का स्वागत किया तथा सभी साथियों  के  स्नान के पश्चात् ग्रामीण लोगों के साथ भोजन कर एक औपचारिक संवाद की शैली में त्क्रीबंम ५०- ६०  ग्रामीण लोगों की उपस्थिति  में हमारे इस चल संवेदना शिविर का समापन हुआ जिसमे आदरणीय श्री मेहतुराम नेताम , श्री प्रफुल्ल आकांत व् श्री टेकेश्वर जैन के उद्बोधन के साथ संपन्न हुआ. इसके पश्चात् हम सभी लोग अपने अपने केंद्र की ओर प्रस्थान किये. इस तरह हमारा यह शिविर ३ दिनों में तकरीबन ६० किलोमीटर की दुरी पैदल १७ -१८ गावों से होते हुए लोगों से तमाम विषयों पर संवाद करते हुए पुरे किये जिसका अनुभव बहुत ही रोचक रहा. हमने इन तीन दिनों में मोहला-मानपुर क्षेत्र को जानने व् समझने का भरपूर प्रयास  किया.

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