Thursday, July 31, 2014

सत्ता की बागडोर बहुसंख्‍यक अश्वेतों के हाथों में होना चाहिए- मंडेला

दक्षिण अफ्रीका के नेता नेल्‍सन मंडेला का आज ९६ वां जन्‍मदिन है। मंडेला को बचपन में प्यार से मदिबा पुकारा जाता था और आधुनिक दक्षिण अफ्रीका का पितामह भी कहा जाता है।  मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला है। यह नाम उनके पिता ने उन्हें दिया था रोहिल्हाला का अर्थ होता है पेड़ की डालियों को तोड़ने वाला या प्यारा शैतान बच्चा। नेल्सन के पिता गेडला हेनरी गांव के प्रधान थे। नेल्सन के परिवार का संबंध शाही परिवार से था। नेल्सन की मां एक मेथडिस्ट ईसाई थीं। नेल्सन ने क्लार्क बेरी मिशनरी स्कूल से अपनी आरंभिक पढ़ाई की थी। छात्र जीवन में ही उन्हें रंगभेद नीति का सामना करना पड़ा। स्कूल में उन्हें याद दिलाया जाता कि उनका रंग काला है। अगर वे सीना तानकर चलेंगे तो उन्हें जेल तक जाना पड़ सकता है। इस रंगभेद नीति के चलते उनमें एक क्रांतिकारी का जन्म हो रहा था। नेल्सन ने हेल्डटाउन से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। यह अश्वेतों के लिए बनाया गया एक स्पेशल कॉलेज था। यहीं पर उनकी मुलाकात ऑलिवर टाम्बो से हुई जो उनके जीवनभर दोस्त और सहयोगी रहे। उन्होंने अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ फोर्ट हेयर के अलावा, लंदन की यूनिवर्सिटी एक्सटर्नल सिस्टम, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ अफ्रीका और यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरर्सरैंड में पढ़ाई की। पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का जन्म १८  जुलाई १९१८  को केप प्रांत के मवेजो गांव में हुआ। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति की नीति के खिलाफ और अफ्रीका के लोगों के स्वराज्य के लिए लड़ाई लड़ी। इसके लिए उन्हें २७  वर्ष रॉबेन द्वीप की जेल में बिताने पड़े।

वर्ष 1940 तक नेल्सन और ऑलिवर अपने राजनीतिक विचारों के कारण कॉलेज में काफी चर्चित हो गए। इस गतिविधि के कारण दोनों को कॉलेज से बाहर कर दिया गया। इसके बाद वे घर लौट आए। घरवाले उनकी शादी की तैयारी करने लगे, लेकिन नेल्सन के मन तो विद्रोह चल रहा था, मंडेला ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की और अफ्रीका के अश्वेत युवाओं को एक नेतृत्वकर्ता दिया। जब पूरे विश्व पर गांधीजी का प्रभाव था, नेल्सन पर भी उनका प्रभाव पड़ा। अश्वेतों को उनका अधिकार दिलाने के लिए १९९१  में कनवेंशन फॉर ए डेमोक्रेटिक साउथ अफ्रीका (कोडसा) का गठन किया जो देश में शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन करने की अगुवा बनी। श्वेत नेता डी क्लार्क और मंडला ने इस काम में अपनी समान भागीदारी निभाई। १० मई १९९४ को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदरहित चुनाव हुए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले गोरों को समझाया कि वे देश में अल्पसंख्‍यक हैं इसलिए सत्ता की बागडोर बहुसंख्‍यक अश्वेतों के हाथों में होना चाहिए। उनकी श्वेतों के साथ बातचीत ने सत्ता के हस्तांतरण का मार्ग प्रशस्त किया और इसके लिए अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को तैयार किया।

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति का खात्मा करने वाले नेल्सन मंडेला का अपने देश में महत्वपूर्ण  स्थान है। उन्होंने लगभग एक रक्तहीन क्रांति कर अफ्रीकी लोगों को उनका हक दिलाया और इस परिवर्तन के दौरान हिंसा नहीं हुई क्योंकि वे बातचीत से समस्याएं हल करने में विश्वास करते थे। उन्होंने श्वेत राष्ट्रपति एफ. डब्ल्यू डी क्लार्क से सत्ता संभाली थी और देश का राष्ट्रपति बना रहने के बाद इसे अपने साथी थाबो एमबेकी को सौंप दी। एमबेकी के बाद से सत्ता पर जैकब जुमा हैं जोकि वर्तमान में देश के राष्ट्रपति हैं। इस महान नेता को १९९० में भारत रत्‍न और १९९३  में नोबेल शांति पुरस्‍कार से नवाजा गया था। नेल्‍सन मंडेला को मंडेला ने रंगभेद की नीति के खिलाफ डटकर जंग लड़ी और वे देश के पहले ब्‍लैक राष्‍ट्रपति बने। नेल्‍सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीकी लोकतंत्र का जनक कहा जाता है। वर्ष १९९३  में नेल्सन मंडेला और डी क्लार्क को संयुक्त रूप से शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। तथा वर्ष १९९० में भारत सरकार की ओर से उन्हें भारत रत्न पुरस्कार दिया गया। नेल्सन मंडेला का पिछले साल लंबी बीमारी के बाद ६  दिसंबर २०१३  को ९५  साल की उम्र में निधन हो गया था। 

No comments: