मैंने इस ब्लॉग का नम घोटुल इसलिए रखा है क्योंकि हमारी आदिवासी कम्युनिटी में घोटुल एक ऐसी संस्था है जहाँ आदिवासी युवक-युवतियां सामाजिक संस्कार सीखता है.....अपनी सम्रिध्शाली और पुरातन संस्कृती से रूबरू होता है। आज आदिवासी संस्कृति दुनिया की सबसे पुराणी संस्कृति के रूप में जनि जाती है। आज इस संस्कृति को सम्मान पूर्वक स्थापित करना हम सभी का कर्तव्य है.....शायद इसी कारन मैंने अपने ब्लॉग का नाम घोटुल रखा है......शायद आप सभी को घोटुल सुनने में अटपटा सा लगे पर घोटुल.........हमारे लिए एक मन्दिर के सामान है जहाँ हमने आदिवासी लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोककला तथा ऐसी ही तमाम लोकविधाओं को सीखा जो हमारे लिए एक खास महत्व रखती है......मई एक बार फिर घोटुल जैसी संस्था को प्रणाम करता हूँ जो हमारी पुरातन संस्कृति को आज भी बचाए राखी है.
4 comments:
स्वागत....... मैंने भी आदिवासी और उनके मीडिया में चित्रण पर एक पोस्ट लिखी है यहाँ देखें .......... नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं.
aap yadi aadiwaasee sanskriti kaa parichay is blog ke maadhyam se karaayenge to nishchay hee yah mahatva-poorn ghatna hogee.
आपके खूबसूरत ब्लॉग पर सैर कर आनंद हुआ आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है निरंतरता बनाए रखे
मेरे ब्लॉग पर पधार कर व्यंग कविताओं का आनंद लें
मेरी नई रचना दिल की बीमारी पढने आप सादर आमंत्रित हैं
स्वागत है
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