Thursday, November 13, 2008

गोंडी धर्मं के जन्मदाता पारी कुपार लिंगो.

गोंडी धर्मं की स्थापना पारी कुपार लिंगो ने शम्भूशेक के युग में की थी। गोंडी धर्मं कथाकारों के अनुसार शम्भूशेक अर्थात महादेवजी का युग देश में आर्यों के आगमन से पहले हुआ था। इस काल से ही कोया पुनेम धर्मं का प्रचार हुआ था। गोंडी बोली में कोया का अर्थ ''मानव'' तथा पुनेम का अर्थ ''धर्मं'' अर्थात ''मानव धर्मं''। आज से हजारों वर्ष पूर्व से गोंड जनजातियों द्वारा ''मानव धर्मं '' का पालन किया जा रहा है। अर्थात गोंडी संस्कृति में '' वसुधैव कुटुम्बकम'' की भावना समायी हुई है।

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