Saturday, November 8, 2008

भाषा समाज की माँ होती है.

गोंडी भाषा गोंडवाना साम्राज्य की मातृभाषा है। गोंडी भाषा अति पाचं भाषा होने के कारन अनेक देशी -विदशी भाषाओं की जननी रही है। गोंडी धर्मं दर्शन के अनुसार गोंडी भाषा का निर्माण आराध्य देव शम्भू शेक के डमरू से हुई है, जिसे गोएन्दाधि वाणी या गोंदवानी कहा जाता है। अति प्राचीन भाषा होने की वजह से गोंडी भाषा अपने आप में पूरी तरह से पूर्ण है। गोंडी भाषा की अपनी लिपि है, व्याकरण है जिसे समय-समय पर गोंडी साहित्यकारों ने पुस्तकों के माध्यम से प्रकाशित किया है। गोंडवाना साम्राज्य के वंशजो को अपनी भाषा लिपि का ज्ञान होना अति आवश्यक है। भासा समाज की माँ होती है, इसलिए इसे "मातृभाषा" के रूप में आदर भी दिया जाता है। गोंदियाँ समाज की अपनी मातृभाषा गोंडी है, जिसे आदर और सम्मान से भविष्यनिधि के रूप में संचय करना चाहिए।

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