Wednesday, January 20, 2021

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसंपर्क अध्ययन विभाग द्वारा उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन।

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसंपर्क अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित आईआईएमसी, नई दिल्ली की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जयश्री जेठवानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विज्ञापन व जनसंपर्क के विभिन्न क्षेत्रों में अपने ज्ञान व कौशल के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है ।  विज्ञापन व जनसंपर्क का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है जिसकी शुरुआत मनुष्य की सभ्यता की शुरुआत से ही मानी जा सकती है, अलग-अलग राज्य सत्ताओं द्वारा भी विज्ञापन व जनसंपर्क का कैसे सहारा लिया जाता रहा है इसके बारे विस्तार पूर्वक बताया। 
उन्मुखीकरण कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में जनसंपर्क के महाप्रबंधक   श्री विजय मिश्रा  ने  विज्ञापन के विभिन्न आयामों के बारे में चर्चा करते हुए बताए कि विज्ञापन व जनसंपर्क महीन से महान बनाने की एक कला है। विज्ञापन आप व हम सभी के बीच स्थापित होने की प्रक्रिया का नाम है। विज्ञापन में दी गई जरुरी बातों को जानना हम सभी के लिए लाभकारी है। उन्होंने बाइक का उदाहरण देते हुए विज्ञापन के महत्व पर चर्चा किए तथा विज्ञापनों में भाषा का प्रयोग कैसे महत्वपूर्ण है इसके बारे में भी आपने विस्तार पूर्वक बताया।  उन्होंने कहा कि योजनाओं को दिल और दिमाग में बैठाने के लिए भाषा का सुगम व सरल होना बेहद जरूरी है तथा भारतीय भाषा में छपा विज्ञापन ह्रदय, मन व मस्तिष्क में उतर जाता है। श्री विजय मिश्रा ने भारत में भाषा के महत्व को प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र तथा अकबर इलाहाबादी के कृतियों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया। श्री विजय मिश्रा ने छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल द्वारा प्रयोग किए जा रहे बिजली बचाओ अभियान के संदर्भ में कैसे छत्तीसगढ़ी भाषा प्रभावकारी रहा इसके बारे में भी बताया ।  श्री विजय मिश्रा जी ने छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रयोग के बारे में बताते हुए प्रसिद्ध नाटककार हबीब तनवीर के नाटकों का भी उल्लेख  करते हुए यह बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा को गांव से विश्व पटल तक पहुंचाने का कार्य हबीब तनवीर जैसे लोगों के द्वारा किया गया है। उन्होंने कुछ विज्ञापनों के स्लोगन  जैसे -यह दिल मांगे मोर , अमूल पीता है इंडिया ,  के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कैसे हिंदी और अंग्रेजी के प्रयोग से आम उपभोक्ता को प्रभावित किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के प्रोफ़ेसर पवित्र श्रीवास्तव ने सरकारी क्षेत्र व कारपोरेट क्षेत्रों में जनसंपर्क के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए यह बताया कि सरकारी क्षेत्र व कारपोरेट क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। सरकारी क्षेत्र में राष्ट्रीय व राज्य स्तर के जनसंपर्क संस्थानों में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
 प्रो.पवित्र श्रीवास्तव जी ने राष्ट्रीय स्तर के जनसंपर्क संस्थान , प्रदेश सरकार की जनसंपर्क संचालनालय, छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल तथा अन्य सरकारी विभागों में जनसंपर्क की उपयोगिता पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कारपोरेट क्षेत्र में भी जनसंपर्क की उपयोगिता पर छात्रों से बातचीत करते हुए यह कहा कि इस क्षेत्र में जनसंपर्क कौशल का बहुत महत्व है वर्तमान समय में जनसंपर्क व विज्ञापन का क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है विज्ञापन एवं जनसंपर्क की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को इन क्षेत्रों में अपार संभावनाएं नजर आती है जनसंपर्क की संभावनाओं के बारे में चर्चा करते हुए प्रोफेसर श्रीवास्तव ने यह बताएं कि  सृजनात्मकता में रुचि रखने वाले तथा जोखिम उठाने वालों के लिए विज्ञापन व जनसंपर्क के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में विज्ञापन व जनसंपर्क के अलावा इवेंट एग्जीबिशन मैनेजर, कारपोरेट कम्युनिकेशन अधिकारी, पब्लिसिटी ऑफिसर,  प्रचार अधिकारी, कॉपीराइटर,  विजुलाइजर तथा आर्ट डायरेक्टर जैसे  रोजगार प्राप्त कर सकते हैं
इस कार्य की अध्यक्षता करते हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि उन्मुखीकरण कार्यक्रम सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए सुयोग्य ज्ञान संपन्न कराने की एक प्रक्रिया है इसके माध्यम से नवप्रवेशी विद्यार्थीयों को विज्ञापन  व जनसंपर्क के व्यावहारिक ज्ञान को समझने में आसानी होती है। प्रोफेसर बलदेव भाई शर्मा ने पत्रकारिता के बारे में बात करते हुए कहा कि पत्रकारिता सिर्फ विषय बस नहीं है पत्रकारिता एक प्रवृत्ति का नाम है जो हमें निरंतर सीखने वह जूझने की कला सिखाती है। पत्रकारिता के विद्वानों ने कहा है कि शिक्षा हमें विवेकशील बनाती है उसी तरह दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने की कला का नाम पत्रकारिता है।  पत्रकार का मूल धर्म जीवन में सफलता पाना ही नहीं होता है बल्कि जीवन में उत्कृष्टता को प्राप्त करना भी आवश्यक होता है। प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि इस क्षेत्र में हर विद्यार्थियों को अपने शक्ति समय व ऊर्जा के सदुपयोग करके जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए।  उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का उदाहरण देते हुए यह बताया कि पत्रकारों की एक पीढ़ी ने किस प्रकार संघर्ष करते हुए भारत को आजादी दिलाई उसी प्रकार अपना जीवन देश समाज की भलाई के लिए न्योछावर करना ही पत्रकारिता का मूल धर्म है। अंत में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ आनंद बहादुर सिंह ने सभी आगंतुक अतिथियों का आभार प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उन्मुखीकरण कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर शैलेंद्र खंडेलवाल, प्रोफेसर पंकज नयन पांडे, डॉक्टर नृपेन्द्र शर्मा, डॉक्टर नरेंद्र त्रिपाठी, डॉ राजेंद्र मोहंती, डॉ ऋषि दुबे व विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक गण तथा सभी विभागों के विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।

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