आवाज़ की बुलंदियों में,
दर्शकों का काफिला।
तोड़कर मुश्किलें सारी,
मिटा दो वो फासला।
भूल चलो ये मंदिर मस्जिद,
भूलकर वो सिलसिला।
भूल चुकी है दुनिया सारी,
अब कर लो तुम फैसला।
आज हमारी धरती फिर से,
लगती है वीरान मुझको।
समय नहीं है पास तुम्हारे,
मत खोना तुम हौसला।।
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