बहुत सुनी कथाओं में।
कुंदन बन चमकी थी वो,
उस जलती ज्वालाओं में।।
शहीद हुई जो सबसे पहले,
नहीं लिखा इतिहासों में।
हुए 500 आज जनम के,
जो जीवित है विश्वासों में।।
पूर्तगालों की सेना ने,
जब वार किया था 55 में।
हरा ना सके थे फिर भी रानी को
वीरता की जो मिशाल थी।
डटकर किया सामना था जिसने,
साख बचाने उल्लाल की।
साख बचाने उल्लाल की।।
शहीद हुई जो सबसे पहले,
नहीं लिखा इतिहासों में।
हुए 500 आज जनम के,
जो जीवित है विश्वासों में।।
सन् 58 में भी उसने
रानी को जब घेरा था।
झुकी नहीं वो रानी फिर भी,
पूर्तों को जिसने खदेड़ा था।
शहीद हुई जो सबसे पहले,
नहीं लिखा इतिहासों में।
हुए 500 आज जनम के,
जो जीवित है विश्वासों में।।
भेद रहा था सागर तट को,
भारत में घुस आने को।
उल्लालों की सेना लेकर,
निकल पड़ी भगाने को।
सन् 67 में पूर्तों ने,
फिर से हमला डाला था।
दिया करारा उन पूर्तों को,
निकले थे जो कब्जाने को।।
शहीद हुई जो सबसे पहले,
नहीं लिखा इतिहासों में।
हुए 500 आज जनम के,
जो जीवित है विश्वासों में।।
बार बार के हमलों ने भी,
झुका ना पाये रानी को,
अग्निबाण से उस रानी ने,
पूर्तों को जब घेरा था।
वीर बहादुर शौर्य पराक्रम,
लड़े बहुत सीमाओं में।
किया वार जब तुलुनाडु में,
उस पूर्ति सेनाओं ने।
नहीं टूटने दिया मान को
झुका ना पाये रानी को।
टूटी नहीं अबक्का फिर भी
ऐसी माँ भवानी थी।।
शहीद हुई जो सबसे पहले,
नहीं लिखा इतिहासों में।
हुए 500 आज जनम के,
जो जीवित है विश्वासों में।।
नौका डूबी नाव भी डूबा,
उल्लाली सेनानी का,
शत् शत् वंदन् करे ये धरती,
वीर अबक्का रानी का।
वीर अबक्का रानी का।।
शहीद हुई जो सबसे पहले,
नहीं लिखा इतिहासों में।
हुए 500 आज जनम के,
जो जीवित है विश्वासों में।।
No comments:
Post a Comment